Satyapal Malik का अंतिम सफर – 79 की उम्र में ली अंतिम सांस

Satyapal Malik passes away at age 79

⚡Catchline:

राजनीति की दुनिया में बेबाक आवाज़ रहे Satyapal Malik अब नहीं रहे – विचारों की आग अब यादों में रह गई!

🕯️ सच्चाई बोलने वाला एक राजनेता – Satyapal Malik अब नहीं रहे

भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम, जो बिना झिझक सच बोलने के लिए जाना जाता था – सत्यपाल मलिक
पूर्व राज्यपाल, किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर खड़े होने वाले नेता और मोदी सरकार के आलोचक, सत्यपाल मलिक ने 79 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

उनके निधन की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनमानस तक, सभी ने एक बेबाक और निडर नेता को याद किया।


📅 Satyapal Malik कब और कैसे हुआ निधन?

  • निधन की तिथि: 5 अगस्त 2025
  • स्थान: नई दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल
  • कारण: दिल का दौरा (Heart Attack)
  • उम्र: 79 वर्ष

परिवार के मुताबिक, कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। उन्हें हार्ट से जुड़ी दिक्कतें हो रही थीं।
बीती रात अचानक तबीयत बिगड़ी और डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद सुबह 4:20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।


👨‍💼 Satyapal Malik कौन थे?

Satyapal Malik का जीवन एक साधारण पृष्ठभूमि से शुरू होकर उच्च राजनीति तक का सफर रहा।
उनकी छवि एक “साफगोई वाले, ईमानदार और बेबाक नेता” की थी।

🧾 उनका राजनीतिक सफर:

पदकार्यकाल
सांसद (राज्यसभा)1980–1986
लोकसभा सांसद (अलीगढ़)1989–1991
राज्यपाल – बिहार2017–2018
राज्यपाल – जम्मू-कश्मीर2018–2019
राज्यपाल – गोवा2019–2020
राज्यपाल – मेघालय2020–2022

🗣️ क्या बनाता था उन्हें सबसे अलग?

“जो दिल में होता था, वही जुबान पर लाते थे”

राजनीतिक शुचिता और नैतिकता के लिए उन्हें याद किया जाएगा:

  • मोदी सरकार की आलोचना, फिर भी डर नहीं
  • किसानों के समर्थन में खुलकर सामने आए
  • पुलवामा हमले पर उठाए सवाल
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ बोले, भले ही कुर्सी हाथ से गई

🧱 किसान आंदोलन में खुला समर्थन

2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान जब अधिकांश नेता चुप थे,
तब सत्यपाल मलिक ने खुलकर किसानों का पक्ष लिया।

“मैं खुद किसान का बेटा हूं, जो गलत होगा, मैं चुप नहीं बैठूंगा” – सत्यपाल मलिक

उन्होंने बार-बार केंद्र सरकार से कानून वापसी की अपील की और किसानों से अपील की कि वो हिम्मत न हारें।


💣 पुलवामा हमले पर बयान – सबसे बड़ा विवाद

2019 के पुलवामा हमले पर उन्होंने कहा कि:

“अगर एयरक्राफ्ट मांगा गया था तो क्यों नहीं दिया गया? यह सरकार की चूक थी।”

उनके इस बयान ने राजनीतिक भूचाल ला दिया।
लेकिन उन्होंने कभी अपने शब्दों को वापस नहीं लिया।


🇮🇳 राज्यपाल रहते हुए जम्मू-कश्मीर में अहम फैसले

2018 में जब उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया,
तो वहां अनुच्छेद 370 को हटाने की तैयारी चल रही थी।

उनके शासन में:

  • विधानसभा भंग की गई
  • केंद्र के सीधे नियंत्रण की व्यवस्था बनी
  • उन्होंने बाद में माना कि “फैसले एकतरफा लिए गए”

🧑‍🎓 शिक्षा और आरंभिक जीवन

  • जन्म: 24 दिसंबर 1946
  • स्थान: बागपत, उत्तर प्रदेश
  • पारिवारिक पृष्ठभूमि: किसान परिवार
  • शिक्षा:
    • B.Sc. – मेरठ कॉलेज
    • LL.B – Meerut University
    • Diploma in Parliamentary Affairs – Institute of Parliamentary Affairs

🧭 किस दल में रहे?

सत्यपाल मलिक ने अपने जीवन में कई राजनीतिक दलों से नाता जोड़ा:

  • भारतीय क्रांति दल (BKD)
  • जनता पार्टी
  • लोक दल
  • कांग्रेस
  • भारतीय जनता पार्टी (BJP)

विचारधारा से ज़्यादा, उनका झुकाव जनहित और सच्चाई की तरफ था।


📸 अंतिम दर्शन – सादगी और शोक

उनकी पार्थिव देह को बागपत स्थित उनके गांव हिनौता में ले जाया गया।

  • हजारों लोग अंतिम दर्शन को पहुंचे
  • कोई तामझाम नहीं – बिलकुल साधारण व्यवस्था
  • किसानों, छात्रों और आम नागरिकों ने पुष्प अर्पित किए
  • अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ

🗨️ नेताओं की प्रतिक्रिया

देशभर के राजनीतिक नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “हमारे मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सत्यपाल जी का योगदान उल्लेखनीय है।”
  • राहुल गांधी: “एक निडर और सच्चे नेता को हमने खो दिया।”
  • अखिलेश यादव: “वे किसानों के सच्चे हमदर्द थे।”
  • अरविंद केजरीवाल: “राजनीति में सच बोलने वाला एक और नाम चला गया।”

🧠 विचारों की विरासत

सत्यपाल मलिक अपने पीछे छोड़ गए हैं:

  • सच बोलने की प्रेरणा
  • बिना डर के सिस्टम से सवाल करने की ताकत
  • जनता के पक्ष में खड़ा होने की मिसाल

🔍 विवादों में क्यों रहे?

विवादकारण
पुलवामा हमलासरकार पर आरोप लगाया
किसान आंदोलनखुला समर्थन, सरकार की आलोचना
गोवा गवर्नर रहते भ्रष्टाचार पर टिप्पणीBJP सरकार पर निशाना
अनुच्छेद 370 पर बयानफैसले की पारदर्शिता पर सवाल

🤔 लोग क्यों उन्हें पसंद करते थे?

  • नेताओं से अलग
  • ईमानदार छवि
  • सरल जीवन
  • मज़बूत विचार

📚 उनका लेखन और भाषण

सत्यपाल मलिक कविता और व्यंग्य भी लिखते थे।
उनकी जुबान में मज़ाक, कटाक्ष और गहराई का संतुलन होता था।

“राजनीति में सच्चाई बोलना गुनाह हो गया है, और मैं ये गुनाह करता रहूंगा।”


🕊️ अब क्या शेष रह गया?

एक विचारशील नेता चला गया, लेकिन:

  • क्या अब राजनीति में कोई ऐसा नेता बचेगा जो सच बोले?
  • क्या सत्ता के सामने खड़ा होने का साहस कोई करेगा?
  • क्या सिस्टम को आईना दिखाने वाला कोई और आएगा?

निष्कर्ष:

सत्यपाल मलिक एक ऐसे नेता थे जो पद से ज़्यादा प्रतिष्ठा में यकीन रखते थे।
उनका जाना सिर्फ एक व्यक्ति का निधन नहीं,
बल्कि एक विचार, एक परंपरा, एक बेबाक आवाज़ का मौन हो जाना है।

वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बातें, उनका साहस और उनका सच्चा अंदाज़ –
हमेशा याद रखा जाएगा।


अगर आप भी मानते हैं कि राजनीति में सच्चाई और बेबाकी की ज़रूरत है,
तो सत्यपाल मलिक जैसे नेताओं को याद रखना और उनकी बातें फैलाना ज़रूरी है।

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⚠️ डिस्क्लेमर:
इस पोस्ट में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है। Dailybuzz.in इसकी सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता। कृपया किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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