RBI रेट कट जून 2025: RBI की 5.50% रेपो रेट कटौती

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📰 विस्तृत समाचार विश्लेषण :-RBI रेट कट जून 2025

जून 2025 की मौद्रिक नीति में बड़ा बदलाव

RBI रेट कट जून 2025 14 जून 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने एक चौंकाने वाला लेकिन स्वागत योग्य निर्णय लिया — रेपो रेट को 6.00% से घटाकर 5.50% कर दिया गया।

RBI रेट कट जून 2025 यह 50 बेसिस पॉइंट की कटौती पिछले डेढ़ वर्षों में सबसे बड़ी मानी जा रही है।

रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक RBI से अल्पकालिक ऋण लेते हैं, और इसी के आधार पर आम उपभोक्ताओं के लिए लोन की दरें तय होती हैं।

यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब महंगाई नियंत्रण में है और आर्थिक विकास को गति देने की सख्त जरूरत है।

RBI के गवर्नर श्री संजय मल्होत्रा ने इस कदम को ‘growth oriented’ करार दिया और संकेत दिए कि आने वाले महीनों में और भी राहत संभव है।

आम आदमी को राहत: EMI घटेगी, बचत बढ़ेगी

रेपो रेट कटौती का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को मिलेगा जिनके पास पहले से लोन हैं या जो नया लोन लेने की योजना बना रहे हैं।

  • होम लोन: ₹50 लाख के 20 साल के होम लोन पर EMI लगभग ₹2,500 से ₹3,000 तक कम हो सकती है।
  • यदि लोन ₹1 करोड़ का है, तो EMI में ₹5,000 से ₹6,000 तक की कटौती संभव है।
  • पर्सनल लोन और ऑटो लोन: फ्लोटिंग रेट वाले पर्सनल लोन या ऑटो लोन पर भी असर पड़ेगा।
  • ब्याज दरें कम होने के चलते ग्राहक को कुल भुगतान राशि में बड़ी राहत मिलेगी।

यह निर्णय उन मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए राहतभरा साबित होगा जो बढ़ती EMI से परेशान थे।

बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र पर प्रभाव

जहां उधारकर्ता इस कदम से खुश होंगे, वहीं बैंकिंग क्षेत्र के लिए यह थोड़ा दबावपूर्ण हो सकता है।

कम ब्याज दरों के चलते बैंकों की शुद्ध ब्याज आय (Net Interest Income) पर असर पड़ सकता है।

इसके बावजूद, लोन डिमांड बढ़ने की उम्मीद है, जिससे लोन वितरण में वृद्धि होगी।

इसके अलावा, बैंकों की Fixed Deposit (FD) दरों में भी कटौती की संभावना है,

जिससे वरिष्ठ नागरिक और रिटायर्ड निवेशक प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि इससे इक्विटी और बॉन्ड मार्केट में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

निवेशकों के लिए क्या मतलब?

रेपो रेट कटौती के बाद बॉन्ड यील्ड्स घटती हैं। इससे बॉन्ड की कीमतें बढ़ती हैं — यानी पहले से खरीदे गए बॉन्ड अधिक मूल्यवान हो जाते हैं।

म्यूचुअल फंड, विशेषकर डेब्ट फंड्स को इससे फायदा होगा।

साथ ही, शेयर बाजार भी सकारात्मक रुख दिखा सकता है, खासकर रियल एस्टेट, बैंकिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर में।

रियल एस्टेट सेक्टर को बल मिलेगा

कम ब्याज दरों का सबसे बड़ा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को मिलता है।

होम लोन की EMI घटने से लोगों की खरीदारी की शक्ति बढ़ती है, जिससे नए घरों की बिक्री में तेजी आ सकती है।

रियल एस्टेट डेवलपर्स पहले से ही सरकार से ब्याज दरें कम करने की मांग कर रहे थे।

यह कदम उन्हें बिक्री बढ़ाने का मौका देगा। साथ ही मध्यमवर्गीय खरीदारों को घर खरीदना आसान होगा।

आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति का संतुलन

RBI ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब:

  • CPI मुद्रास्फीति मई 2025 में 3.7% रही जो कि RBI के 4% लक्ष्य से नीचे है।
  • GDP ग्रोथ अनुमानित है कि FY25 के लिए 6.5% और Q4 के लिए 7.4% रहेगी।

इससे साफ है कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और विकास को प्राथमिकता देने का समय है।

RBI का यह कदम अर्थव्यवस्था को सहारा देने और मांग बढ़ाने की दिशा में है।

क्या आगे और कटौती होगी?

RBI गवर्नर ने संकेत दिए कि यदि आर्थिक परिस्थितियां अनुकूल रहीं और मुद्रास्फीति काबू में रही,

तो आगे भी एक और 25-50 bps की कटौती की जा सकती है। हालांकि यह डेटा आधारित निर्णय होगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि दिसंबर 2025 तक एक और रेपो रेट कटौती की संभावना है जिससे रेपो रेट 5.25% तक आ सकती है।

बाजार की प्रतिक्रिया

  • शेयर बाजार: BSE Sensex और Nifty में सकारात्मक रुझान, बैंकिंग और ऑटो स्टॉक्स में उछाल।
  • बॉन्ड मार्केट: यील्ड में गिरावट, जिससे बॉन्ड की कीमतें बढ़ीं।
  • रुपया: डॉलर के मुकाबले रुपया थोड़ा मजबूत हुआ, जिससे FII निवेश में सकारात्मक संकेत मिले।

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⚠️ डिस्क्लेमर:
इस पोस्ट में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है। Dailybuzz.in इसकी सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता। कृपया किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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