किश्तवाड़ में बादल फटने के बाद राहत और बचाव कार्य
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से मचा कोहराम – 46 शव बरामद, 200 से ज्यादा लापता, राहत और बचाव कार्य जारी।
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में 12 अगस्त 2025 की सुबह एक भयावह प्राकृतिक आपदा ने लोगों को हिला कर रख दिया।
अचानक बादल फटने (Cloudburst) से कुछ ही पलों में पूरी घाटी में तबाही मच गई।
तेज़ बहाव, मलबा और चट्टानों के साथ आई बाढ़ जैसी स्थिति ने कई घर, दुकानें और सड़कें बहा दीं।
प्रशासन के मुताबिक, अब तक 46 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सुबह 5 बजे के आसपास तेज़ बारिश के साथ पहाड़ से अचानक पानी, कीचड़ और बड़े-बड़े पत्थर नीचे आने लगे।
यह इतनी तेज़ी से हुआ कि लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिला।
कई गांव पूरी तरह मलबे में दब गए और खेत भी तबाह हो गए।
किश्तवाड़ के हुनज़र, पड्डर, छत्रु और दच्चन इलाकों में सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है।
यहां के पुल टूट गए, सड़कें बह गईं और बिजली के खंभे गिर गए।
कई जगहों पर अब भी पहुंचना मुश्किल है क्योंकि रास्ते पूरी तरह बंद हैं।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर गहरा दुख जताया है
मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है।
घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।
मौसम विभाग के अनुसार, बादल फटने का कारण अत्यधिक नमी और बहुत घने बादल होते हैं
जो अचानक फटकर बहुत कम समय में भारी बारिश कर देते हैं। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण के कारण और भी गंभीर हो रही है।
मोहम्मद यूसुफ नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया –
“मैं खेत में काम कर रहा था, अचानक तेज़ गड़गड़ाहट और पानी का शोर सुनाई दिया।
मैंने देखा, ऊपर से मलबा और पानी बहुत तेज़ी से आ रहा था। लोग भाग रहे थे लेकिन कई लोग फंस गए।”
स्थानीय लोग और सोशल मीडिया यूज़र्स मदद के लिए लगातार अपील कर रहे हैं।
कई एनजीओ और वॉलंटियर्स राहत सामग्री भेज रहे हैं। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर #KishtwarCloudburst ट्रेंड कर रहा है।
किश्तवाड़ की यह त्रासदी एक बार फिर साबित करती है कि जलवायु परिवर्तन से पहाड़ी इलाकों में आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है।
समय रहते चेतावनी प्रणाली, सुरक्षित निर्माण और आपदा प्रबंधन को मजबूत करना जरूरी है।
किश्तवाड़ में बादल फटने की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी है कि हमें प्रकृति के साथ छेड़छाड़ रोकनी होगी।
फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जारी है और सभी की उम्मीद यही है कि लापता लोग सुरक्षित मिल जाएं।
अगर आप इस आपदा में प्रभावित लोगों की मदद करना चाहते हैं, तो आधिकारिक राहत फंड में योगदान करें।
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