किश्तवाड़ में बादल फटने से हाहाकार – 200+ लोग अब भी Missing

Kishtwar Cloudburst 2025 rescue operation

📌 Catchline

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से मचा कोहराम – 46 शव बरामद, 200 से ज्यादा लापता, राहत और बचाव कार्य जारी।


1. घटना का परिचय

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में 12 अगस्त 2025 की सुबह एक भयावह प्राकृतिक आपदा ने लोगों को हिला कर रख दिया।

अचानक बादल फटने (Cloudburst) से कुछ ही पलों में पूरी घाटी में तबाही मच गई।

तेज़ बहाव, मलबा और चट्टानों के साथ आई बाढ़ जैसी स्थिति ने कई घर, दुकानें और सड़कें बहा दीं।

प्रशासन के मुताबिक, अब तक 46 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं।

2. बादल फटने का मंजर

स्थानीय निवासियों का कहना है कि सुबह 5 बजे के आसपास तेज़ बारिश के साथ पहाड़ से अचानक पानी, कीचड़ और बड़े-बड़े पत्थर नीचे आने लगे।

यह इतनी तेज़ी से हुआ कि लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिला।

कई गांव पूरी तरह मलबे में दब गए और खेत भी तबाह हो गए।

3. सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र

किश्तवाड़ के हुनज़र, पड्डर, छत्रु और दच्चन इलाकों में सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है।

यहां के पुल टूट गए, सड़कें बह गईं और बिजली के खंभे गिर गए।

कई जगहों पर अब भी पहुंचना मुश्किल है क्योंकि रास्ते पूरी तरह बंद हैं।

4. बचाव और राहत कार्य

  • NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल), SDRF, सेना और स्थानीय पुलिस लगातार मलबा हटाने और फंसे लोगों को निकालने में लगी है।
  • हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री, खाने-पीने का सामान और दवाइयां भेजी जा रही हैं।
  • कई गांवों में मेडिकल कैंप लगाए गए हैं जहां घायलों का इलाज हो रहा है।

5. प्रशासन की प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर गहरा दुख जताया है

मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है।

घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।

6. बादल फटने का कारण

मौसम विभाग के अनुसार, बादल फटने का कारण अत्यधिक नमी और बहुत घने बादल होते हैं

जो अचानक फटकर बहुत कम समय में भारी बारिश कर देते हैं। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण के कारण और भी गंभीर हो रही है।

7. लोगों की आंखों देखी कहानी

मोहम्मद यूसुफ नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया –
“मैं खेत में काम कर रहा था, अचानक तेज़ गड़गड़ाहट और पानी का शोर सुनाई दिया।

मैंने देखा, ऊपर से मलबा और पानी बहुत तेज़ी से आ रहा था। लोग भाग रहे थे लेकिन कई लोग फंस गए।”

8. सोशल मीडिया पर अपील

स्थानीय लोग और सोशल मीडिया यूज़र्स मदद के लिए लगातार अपील कर रहे हैं।

कई एनजीओ और वॉलंटियर्स राहत सामग्री भेज रहे हैं। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर #KishtwarCloudburst ट्रेंड कर रहा है।

9. सुरक्षा और सतर्कता

  • पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश के समय सतर्क रहें।
  • नदियों और नालों से दूर रहें।
  • मौसम विभाग की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ न करें।
  • सुरक्षित जगहों पर शरण लें।

10. भविष्य के लिए सबक

किश्तवाड़ की यह त्रासदी एक बार फिर साबित करती है कि जलवायु परिवर्तन से पहाड़ी इलाकों में आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है।

समय रहते चेतावनी प्रणाली, सुरक्षित निर्माण और आपदा प्रबंधन को मजबूत करना जरूरी है।


📌 निष्कर्ष

किश्तवाड़ में बादल फटने की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी है कि हमें प्रकृति के साथ छेड़छाड़ रोकनी होगी।

फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जारी है और सभी की उम्मीद यही है कि लापता लोग सुरक्षित मिल जाएं।


📌 CTA

अगर आप इस आपदा में प्रभावित लोगों की मदद करना चाहते हैं, तो आधिकारिक राहत फंड में योगदान करें।
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⚠️ डिस्क्लेमर:
इस पोस्ट में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है। Dailybuzz.in इसकी सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता। कृपया किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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