H-1B Lottery System खत्म? ट्रंप ने दिया बड़ा झटका

H-1B Visa 2025 New Rules for Indians

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अमेरिका के H-1B वीज़ा सिस्टम में अब बड़ा बदलाव — लॉटरी की जगह सैलरी होगी सबसे बड़ा फैक्टर!

परिचय
अमेरिका के H-1B वीज़ा प्रोग्राम को लेकर भारतीय प्रोफेशनल्स हमेशा उत्साहित और चिंतित रहते हैं। IT, टेक, इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर सेक्टर के लाखों भारतीय हर साल इस वीज़ा के लिए आवेदन करते हैं। अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा व्हाइट हाउस के प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव कर दिया है। पहले H-1B वीज़ा लॉटरी सिस्टम के ज़रिए जारी होता था, लेकिन अब सैलरी-बेस्ड प्रायरिटी सिस्टम लागू होगा। इसका सीधा मतलब है — जिनकी सैलरी अधिक है, उन्हें पहले मौका मिलेगा।


H-1B वीज़ा क्या है?

H-1B वीज़ा अमेरिका का एक नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा है, जो उच्च कौशल वाले विदेशी वर्कर्स को अमेरिकी कंपनियों में काम करने की अनुमति देता है। इसमें खास तौर पर IT, इंजीनियरिंग, साइंस और हेल्थकेयर सेक्टर के लोगों को फायदा मिलता है। हर साल 85,000 H-1B वीज़ा जारी होते हैं, जिसमें 65,000 जनरल कैटेगरी और 20,000 अमेरिकी मास्टर्स या उच्च डिग्री धारकों के लिए रिज़र्व होते हैं।


पहले कैसे काम करता था लॉटरी सिस्टम?

  • एप्लिकेशन फेज़: कंपनियां USCIS (U.S. Citizenship and Immigration Services) के पास अपने कर्मचारियों के लिए आवेदन करती थीं।
  • लॉटरी ड्रॉ: अगर आवेदनों की संख्या लिमिट से ज्यादा होती, तो कंप्यूटर के ज़रिए रैंडम लॉटरी निकाली जाती।
  • सेलेक्शन और प्रोसेसिंग: चयनित एप्लिकेशंस की आगे प्रोसेसिंग होती थी और बाकी को रिजेक्ट कर दिया जाता था।

इस सिस्टम का फायदा यह था कि सभी को बराबर मौका मिलता था — चाहे उनकी सैलरी कम हो या ज्यादा।


अब क्या बदला है?

ट्रंप प्रशासन ने H-1B चयन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए सैलरी-बेस्ड प्रायरिटी सिस्टम लागू करने का फैसला किया है।

नए सिस्टम के मुख्य पॉइंट्स:

  1. लॉटरी खत्म — अब कोई रैंडम सेलेक्शन नहीं होगा।
  2. हाई सैलरी वालों को प्राथमिकता — जिनकी सैलरी लेवल ज़्यादा होगी, उन्हें पहले मौका मिलेगा।
  3. वेज लेवल्स का इस्तेमाल — अमेरिकी श्रम विभाग (Department of Labor) के वेज डेटा के आधार पर चार लेवल्स बनाए जाएंगे।
  4. कंपनियों पर दबाव — उन्हें विदेशी कर्मचारियों को अधिक सैलरी देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

क्यों किया गया ये बदलाव?

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि H-1B प्रोग्राम का मकसद अमेरिकी कंपनियों में उच्च-कौशल वाले कर्मचारियों की कमी पूरी करना है, न कि सस्ते विदेशी श्रमिकों को लाना। उनका दावा है कि पुराने लॉटरी सिस्टम से कंपनियां कम सैलरी पर विदेशी कर्मचारियों को रख लेती थीं, जिससे अमेरिकी वर्कर्स का नुकसान होता था।


भारतीयों पर असर

1. पॉज़िटिव इफेक्ट

  • जो भारतीय पहले से अमेरिका में काम कर रहे हैं और हाई-पे पैकेज पर हैं, उनके H-1B रिन्यूअल के चांसेज़ बढ़ेंगे।
  • टॉप यूनिवर्सिटीज़ से पढ़े भारतीय ग्रेजुएट्स को फायदा मिलेगा।

2. नेगेटिव इफेक्ट

  • नए आवेदकों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी, खासकर उन लोगों के लिए जिनका पैकेज कम है।
  • एंट्री-लेवल IT प्रोफेशनल्स को अब अमेरिका में जॉब पाना कठिन होगा।

कंपनियों की प्रतिक्रिया

अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां जैसे Google, Microsoft, Amazon और Facebook पहले ही इस फैसले पर चिंता जता चुकी हैं। उनका कहना है कि H-1B प्रोग्राम सिर्फ सैलरी के आधार पर तय नहीं होना चाहिए, बल्कि स्किल और टैलेंट भी अहम फैक्टर होना चाहिए।


इंडियन IT इंडस्ट्री का रिस्पॉन्स

भारतीय IT कंपनियां जैसे Infosys, TCS, Wipro और HCL अमेरिका में अपने हजारों कर्मचारियों को भेजती हैं। इनके लिए यह बदलाव दोहरी चुनौती है —

  • कॉस्ट बढ़ना: हाई सैलरी देनी पड़ेगी।
  • टैलेंट पाइपलाइन में बाधा: एंट्री-लेवल कर्मचारियों के H-1B वीज़ा मिलने की संभावना घटेगी।

क्या यह फैसला कानूनी चुनौती झेलेगा?

अमेरिका में कई इमिग्रेशन लॉयर्स का कहना है कि यह बदलाव कोर्ट में चुनौती का सामना कर सकता है, क्योंकि H-1B कानून में स्पष्ट रूप से लॉटरी का ज़िक्र है। अगर कोई कंपनी या व्यक्ति कोर्ट में गया, तो यह पॉलिसी रुक भी सकती है।


पिछले 5 सालों में H-1B के बड़े बदलाव

  1. 2019 – मास्टर्स डिग्री वालों के लिए लॉटरी में अतिरिक्त मौका।
  2. 2020 – इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम लागू।
  3. 2021 – सैलरी-बेस्ड सिस्टम का पहला प्रस्ताव (रुक गया)।
  4. 2023 – रजिस्ट्रेशन फ्रॉड पर कड़ी कार्रवाई।
  5. 2025 – लॉटरी खत्म, हाई सैलरी वालों को प्राथमिकता।

भारतीय युवाओं के लिए सुझाव

  • अपनी स्किल्स अपग्रेड करें – AI, Data Science, Cybersecurity जैसे हाई-डिमांड सेक्टर्स में ट्रेनिंग लें।
  • अमेरिकी डिग्री पर फोकस करें – US में मास्टर्स करने से फायदा होगा।
  • कंपनियों के साथ नेगोशिएट करें – सैलरी बढ़ाने के लिए अपने स्किल का प्रूफ दें।

निष्कर्ष

H-1B वीज़ा में यह बदलाव भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। जो लोग हाई सैलरी पर हैं, उनके लिए यह सुनहरा मौका है, लेकिन एंट्री-लेवल और मिड-लेवल प्रोफेशनल्स को अपनी स्ट्रैटेजी बदलनी होगी। ट्रंप का यह फैसला अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी में एक और बड़े बदलाव का संकेत देता है, और आने वाले महीनों में इसका असर साफ दिखेगा।


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⚠️ डिस्क्लेमर:
इस पोस्ट में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है। Dailybuzz.in इसकी सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता। कृपया किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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