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साउथ इंडियन सिनेमा की पहली लेडी सुपरस्टार B. सरोजा देवी अब हमारे बीच नहीं रहीं — एक अद्भुत युग का समापन।
14 जुलाई 2025 का दिन भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक दुखद अध्याय बन गया, जब दक्षिण भारतीय फिल्मों की शान, प्रसिद्ध अभिनेत्री और ‘अभिनय सरस्वती’ के नाम से जानी जाने वाली B. सरोजा देवी का निधन हो गया। 87 वर्ष की उम्र में उन्होंने बेंगलुरु स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली।
🌺 जीवन की शुरुआत
B. सरोजा देवी का जन्म 7 जनवरी 1938 को कर्नाटक के बेंगलुरु में एक तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी थे और मां एक गृहिणी। कला और अभिनय के प्रति उनका झुकाव बचपन से ही रहा। कम उम्र में ही उन्होंने नृत्य और संगीत की शिक्षा लेना प्रारंभ कर दिया, जो आगे चलकर उनके अभिनय करियर की नींव बना।
🎬 फिल्मी सफर की शुरुआत
उनका अभिनय करियर 1955 में शुरू हुआ, जब उन्होंने कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ में काम किया। इसके बाद उनका फिल्मी सफर कभी रुका नहीं। उन्होंने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिंदी भाषा की फिल्मों में काम किया और 200 से अधिक फिल्मों में अपनी प्रतिभा दिखाई।
🌟 सुपरस्टार का सफर
60 और 70 के दशक में B. सरोजा देवी का जलवा दक्षिण भारतीय फिल्मों में चरम पर था। उनकी जोड़ी सबसे ज्यादा एम. जी. रामचंद्रन, एन. टी. रामाराव, सिवाजी गणेशन और राजकुमार जैसे सुपरस्टार्स के साथ पसंद की गई। हिंदी सिनेमा में भी उन्होंने ‘पैग़ाम’, ‘बेटी बेटे’, ‘ससुराल’ जैसी फिल्मों में अहम भूमिका निभाई।
उनकी अभिनय शैली बेहद अभिव्यक्तिपूर्ण थी — वे बिना बोले संवादों को अपनी आंखों और चेहरे के हाव-भाव से कह जाती थीं, इसीलिए उन्हें ‘अभिनय सरस्वती’ की उपाधि मिली।
🏆 पुरस्कार और सम्मान
B. सरोजा देवी को उनके योगदान के लिए अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से नवाजा गया:
- पद्मश्री (1969)
- पद्मभूषण (1992)
- कर्नाटक रत्न
- कलाईमामणि अवॉर्ड (तमिलनाडु सरकार)
- मानद डॉक्टरेट्स
- नेशनल फिल्म अवार्ड्स की ज्यूरी में सदस्यता
उनके नाम पर तमिलनाडु और कर्नाटक में कई फिल्म समारोह और अवॉर्ड्स भी रखे गए हैं।
❤️ व्यक्तिगत जीवन
1967 में उन्होंने श्री हर्षा से विवाह किया। वह एक इंजीनियर थे और सिनेमा से बाहर की दुनिया से जुड़े हुए थे। उनका वैवाहिक जीवन सुखद था, लेकिन 1986 में पति के देहांत के बाद वह कुछ समय के लिए फिल्मों से दूर हो गईं। फिर उन्होंने सामाजिक कार्यों में अपनी ऊर्जा लगाई।
B. सरोजा देवी भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी से भी जुड़ी रहीं और महिलाओं व बच्चों के कल्याण के लिए काम करती रहीं।
📽️ कुछ यादगार फिल्में
कन्नड़:
- महाकवि कालिदास
- कित्तूर चेनम्मा
- बाबरुवाहन
- मल्लम्मा
- सती सुलोचना
तमिल:
- नाडोडी मन्नन
- पेरिया इदाथु पेन
- पुथिया पारवई
- एंगा वीट्टू पिल्लई
- अंबे वाँ
हिंदी:
- पैग़ाम
- ससुराल
- बेटी बेटे
- पूरब और पश्चिम
🙏 निधन और अंतिम संस्कार
14 जुलाई 2025 को सुबह 6:45 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। परिवार के अनुसार, वह पिछले कुछ महीनों से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं और बिस्तर पर ही थीं। अंतिम संस्कार बेंगलुरु के एक सार्वजनिक स्थान पर राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ।
💬 श्रद्धांजलियां
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “उनके निधन से भारतीय सिनेमा की एक अमूल्य धरोहर समाप्त हुई है। ओम शांति।”
- रजनीकांत: “वे न केवल एक अभिनेत्री थीं, बल्कि हमारी माँ जैसी थीं। उनका आशीर्वाद हमेशा साथ रहेगा।”
- कमल हासन: “मैंने अभिनय उन्हीं से सीखा। उनका जाना मेरे जीवन की व्यक्तिगत क्षति है।”
- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने उन्हें राजकीय श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को ‘अमूल्य’ बताया।
🎭 अभिनय की शैली
सरोजा देवी की विशेषता थी उनकी सादगी, गरिमा और गहराई से भरा अभिनय। वो किरदारों में खुद को पूरी तरह ढाल लेती थीं, चाहे वो एक रानी हो, एक गृहणी हो या एक विद्रोही स्त्री। उनकी संवाद डिलीवरी और एक्सप्रेशन इतने प्रभावशाली होते थे कि दर्शक सीन के साथ बह जाते थे।
🎞️ विरासत
उनकी फिल्मों के दृश्य, संवाद और गीत आज भी टीवी चैनलों, यूट्यूब और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर देखे जाते हैं। नई पीढ़ी के कलाकारों को वे प्रेरणा देती हैं — उनकी सरलता और पेशे के प्रति निष्ठा आने वाले कलाकारों के लिए मार्गदर्शक है।
🕯️ निष्कर्ष
B. Saroja Devi का जाना सिर्फ एक अभिनेत्री का अंत नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। उनके अभिनय की ऊंचाइयों को पाना मुश्किल ही नहीं, असंभव है। आज भी जब उनकी कोई फिल्म ऑनस्क्रीन आती है, तो दर्शकों की आंखें नम हो जाती हैं।
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